सैन्य वाहन(Military Vehicle)

सैन्य वाहनों के प्रकार(Types of Military Vehicles)

लड़ाकू वाहन

सैन्य वाहनों में लड़ाकू वाहन खास तौर पर अहम भूमिका निभाते हैं लड़ाकू वाहन जमीनी स्तर पर वह बख्तरबंद वाहन है जो लड़ाई के दौरान सुरक्षाबलों के काम आते हैं लड़ाकू वाहनों का इस्तेमाल सुरक्षा बल लंबे समय से करते आ रहे हैं इस प्रकार के वाहन अंग्रेजों यूनानी और मुगलों के समय भी लड़ाई के दौरान इस्तेमाल किए जाते थे लड़ाकू वाहन विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं

बख्तरबंद लड़ाकू वाहन

बख्तरबंद लड़ाकू सैन्य वाहन  एक प्रकार का ऐसा वाहन है जिसके भीतर सुरक्षा बल अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं इसके नाम से ही पता चलता है कि यह वाहन चारों तरफ से अभी सप्त धातु से बना होता है जिस पर बम और गोलियों का कोई असर नहीं होता है यह आधुनिक सुविधाओं से लैस होता है| जैसे वाईफाई ,ट्रैकर, सीसीटीवी आदि जिसे लड़ाई के दौरान ट्रैक भी किया जा सकता है|

लड़ाकू वाहन

लड़ाकू वाहन विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं जैसे मुख्य युद्ध टैंक, हैवी टैंक, बोफोर्स तोपें, बख्तरबंद विभिन्न प्रकार की गाड़ियां और अन्य रक्षा ट्रक जो सुरक्षा बलों को युद्ध क्षेत्र से लाने ले जाने में मदद करती है वर्तमान में लड़ाइयां कंप्यूटर द्वारा होती है लेकिन लड़ाई के दौरान टैंको अहमियत आपको हम कभी नहीं भूल सकते हैं जो दुश्मन और दुश्मन के इलाके को बर्बाद करने की हिम्मत रखते हैं|

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सैन्य वाहन प्रौद्योगिकी(Military Vehicle Technology)

वाहन प्रौद्योगिकी में विकास

लड़ाई के दौरान दुश्मनों को और दुश्मनों के इलाके को कम समय में बर्बाद करना और इनके ऊपर जीत हासिल करने के लिए सेना वाहन प्रतियोगिता में हर साल नई ऊंचाइयां छूती है जो बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लड़ाई के दौरान सैन्य वाहन बैकबोन की भूमिका निभाते हैं इसलिए सैन्य वाहन प्रतियोगिता में विकास करना अत्यंत महत्वपूर्ण है|

जोधपुर सैन्य प्रौद्योगिकी

भारतीय संस्थान डीआरडीओ द्वारा भारतीय सेना के लिए ऐसे वाहनों को इजाद किया जा रहा है जो वजन में काफी हल्के और अत्याधुनिक होंगे जो किसी भी मौसम जलवायु इत्यादि में तत्पर रहेंगे और जिन का मेंटेनेंस खर्चा बहुत कम होगा सैन्य वाहनों की यह प्रौद्योगिकी अभी प्राथमिक चरण पर है जोकि जोधपुर स्थित सैन्य प्रौद्योगिकी शाला में संचालित किए जा रहे हैं|

फ्यूचरिस्टिक वाहन

डीआरडीओ द्वारा यह फ्यूचरिस्टिक वाहन होंगे जो राजस्थान के रेतीले इलाके में, नॉर्थ ईस्ट के पथरीले इलाके में, और देश के पानी वाले क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे आर्मी एयर डिफेंस के अनुसार सेना हवाई वाहन प्रतियोगिता में भी नई प्रतियोगी इजात कर रही है जिसमें हेलीकॉप्टर और ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ड्रोन एक मानवरहित हवाई वाहन है भारत वर्तमान में अपने लड़ाकू ड्रोन को इजात कर रहा है|

सैन्य वाहन रखरखाव और रसद(Military Vehicle Maintenance and Logistics)

रखरखाव और नियंत्रण

सैन्य वाहन रखरखाव और रसद से यह सुनिश्चित करना है कि वाहन प्रथमिक उद्देश्य है और यह हर समय दिन-रात कभी भी इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं वाहनों को बेहतर बनाने के लिए उनका नियंत्रण निरीक्षण आवश्यक है और समय-समय पर तेल पानी बदलना भी अनिवार्य होता है जिसके आधार पर संवेदनशील स्थिति में वाहन धोखा ना दे|

रसद

सैन्य वाहनों में रसद एक महत्वपूर्ण पहलू है यह सुनिश्चित करता है कि वाहन संचालित में संसाधनों की पूर्ति बनी रहे इसमें वाहनों के पार्ट्स खरीद जैसे इंधन ,इंजन आयल स्पेयर पार्ट्स समय पर पूर्ति करना और वितरण आदि शामिल है सैन्य वाहनों का नियंत्रण संचालन बनाए रखने के लिए सेना आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क बनाए रखती है और आपूरतक तक भी समय पर डिलीवरी करते है|

सैन्य वाहनों का विकास(Development of Military Vehicles)

वाहनों का विकास

प्राचीन काल में सैन्य वाहनों के तौर पर रथ हाथी घोड़े इत्यादि यों को काम पर लिया जाता था लेकिन समय के साथ वाहनों का विकास हुआ और आज रथ हाथी घोड़ों की जगह अत्याधुनिक वाहनों ने ले ली है इतिहास गवाह है कि वाहनों के बलबूते पर ही बड़ी से बड़ी लड़ाइयां जीती गई है जिस सेना ने अपनी वाहनों का विकास किया वह हमेशा युद्ध के मैदान पर विरोधियों से आगे रही है|

विज्ञान और प्रौद्योगिकी

समय के साथ सैन्य वाहनों का विकास अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि आज दूसरे देश वाहन प्रौद्योगिकी में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं

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जिसके आधार पर वह किसी भी देश को चुनौती दे सकते हैं वर्तमान में इसका जीता जाता उदाहरण है रशिया यूक्रेन युद्ध केंद्र सरकार द्वारा सैन्य वाहनों को विकसित करने में काफी ध्यान दिया गया है इसी के आधार पर जम्मू कश्मीर और हाई एल्टीट्यूड जैसी जगहों पर सेनाओं को नए वाहन दिए गए हैं|

आधुनिक वाहन प्रणाली

हाली के कुछ सालों में केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं को कई नए वाहनों से लैस किया है थल सेना को बख्तरबंद और ब्लडप्रूफ वाहन जल सेना को कई युद्ध पोत और समरीन, और वायु सेना को नई द्रोण तकनीक, फ्रांस द्वारा निर्यात राफेल फाइटर जेट जो कि 36,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ने में सक्षम है और जिस की गति 1.3 मैक़ है इसी प्रकार से भारतीय डीआरडीओ द्वारा ड्रोन प्रणाली को भी कई विकसित किया गया है|

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